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26 August 2015
' शिवाभिषेक '
' शिवाभिषेक '
" रुतम् दु:खम्, द्रावयति नाशयतीतिरुद्र: "
अर्थात भोलेनाथ सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे समस्त पाप कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है व उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।इस पृथ्वी पर शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्शन को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है।
मान्यता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है
" सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: "
अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। विशेष मनोरथ की पूर्ति के लिये तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है।रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-
• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल / गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
शिव आराधना मे अभिषेक को महत्वपूर्ण को माना जाता है,क्योंकि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से हुई है रूद्रभिषेक की उत्पत्ति।रूद्र यानी भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना।भोलनाथ तो भाव के भूखे हैं , वह जल के स्पर्श मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं.साधारण रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से महादेव के अभिषेक की विधि प्रचिलत है।
- किसी पुराने या निर्जन स्थान पर स्थापित शिवलिंग की नियमित रूप से साफ सफाई , पूजा और अभिषेक , बहुत ही उत्तम फल देता है।
यदि पारद के शिवलिंग का अभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है।
- जल से अभिषेकहर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें,भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें I ताम्बे के पात्र में ' शुद्ध जल ' भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें , ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधे,' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें I शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें,अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जप करेंI शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पोंछ कर साफ करें।
- दूध से अभिषेक
शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करेंभगवान शिव के ' प्रकाशमय ' स्वरूप का मानसिक ध्यान करेंचाँदी के पात्र मे ' दूध ' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें' ॐ श्री कामधेनवे नम: ' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए अभिषेक करेंअभिषेक करते हुए ' ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: ' मंत्र का जप करेंशिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पोंछ कर साफ करें।- ऋतु फलों के रस से अभिषेक
अखंड धन लाभ व हर प्रकार के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें
भगवान शिव के ' नील कंठ ' स्वरूप का मानसिक ध्यान करेंचाँदी या ताँबे के पात्र मे गन्ने का या जो भी ऋतुफल हो उसका रस भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
' ॐ कुबेराय नम: ' का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुएअभिषेक करें अभिषेक करते हुए ' ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा ' मंत्र का जप करेंशिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें व शिवलिंग को पोंछ दें।
- सरसों के तेल से अभिषेकग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करेंभगवान शिव के ' प्रलयंकर ' स्वरुप का मानसिक ध्यान करेंताम्बे के पात्र में ' सरसों का तेल ' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें' ॐ भं भैरवाय नम: ' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए अभिषेक करें अभिषेक करते हुए ' ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा ' मंत्र का जप करेंशिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पोंछ कर साफ करें।
- चने की दालकिसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करेंभगवान शिव के ' समाधी स्थित ' स्वरुप का मानसिक ध्यान करेंताम्बे के पात्र में ' चने की दाल ' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें' ॐ यक्षनाथाय नम: ' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुये अभिषेक करें अभिषेक करते हुये ' ॐ शं शम्भवाय नम: ' मंत्र का जप करेंशिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पोंछ कर साफ करें।
- काले तिल से अभिषेकतंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करेंभगवान शिव के ' नीलवर्ण ' स्वरुप का मानसिक ध्यान करेंताम्बे के पात्र में ' काले तिल ' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें' ॐ हुं कालेश्वराय नम: ' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय 'का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए अभिषेक करें अभिषेक करते हुए ' ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: ' का जप करेंशिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पोंछ कर साफ करें।
- शहद मिश्रित गंगा जलसंतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करेंभगवान शिव के ' चंद्रमौलेश्वर ' स्वरुप का मानसिक ध्यान करेंताम्बे के पात्र में शहद मिश्रित गंगा जल भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें' ॐ श्रां श्रीं श्रों सः चन्द्रमसे नम: ' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए अभिषेक करें अभिषेक करते हुए ' ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा ' का जप करेंशिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
- घी व शहदरोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करेंभगवान शिव के ' त्रयम्बक ' स्वरुप का मानसिक ध्यान करेंताम्बे के पात्र में ' घी व शहद ' भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें' ॐ धन्वन्तरयै नम:' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंशिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए अभिषेक करें अभिषेक करते हुए ' ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा ' का जप करेंशिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें और पोंछ दें।
- केसर से अभिषेकशास्त्रों के अनुसार पूर्ण वर्ष मे केवल महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग पर कुमकुम लगाया जा सकता है क्योंकि इस दिन शिव का विवाह हुआ था। इस दिन के बाद भगवान को कुमकुम नहीं लगाया जाता है। पूरे वर्ष शिवलिंग पर चंदन ही लगाया जाता है।आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का केसर से अभिषेक करेंभगवान शिव के 'नीलकंठ' स्वरूप का मानसिक ध्यान करेंताम्बे के पात्र मे केसर और पंचामृत भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम कातिलक करें ' ॐ उमायै नम: ' का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें' ॐ नम: शिवाय ' का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करेंपंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल देंफिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए अभिषेक करें अभिषेक करते हुये 'ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा ' का जप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें व पोंछ दें।!! ॐ नमः शिवाय !!
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