31 August 2015

 साधना :-


अगर आप ये समझते हैं कि साधना सरल हो , शीघ्र फलित हो तो आप गलत हैं....साधा उसी 

को जाता है जो असाध्य हो | बस यूँ समझ लो कि आग का दरिया है और डूब के जाना है |


अगर लड़ने का जिगर है और धीरज के साथ जोश हो ...कुछ पाने का अहसास हो...दृढ इच्छा 

शक्ति के साथ जीतने की पाने की ....बदलने की चाह हो तो सब कुछ संभव है....असंभव कुछ 

भी नहीं......


ॐ नमः शिवाय .......




सिद्ध करने के लिए निःसंदेह बहुत ऊर्जा लगती है। आदरणीय श्री मुकेश सक्सेना भाई ने मुझे बहुत सहायता की। मैं अपने कुछ अनुभव आपसे बांटता हूँ :-१. साधना के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है अनुशासन , उसके बिना सब असंभव नहीं।२. साधना के बाद अपने व्यवहार और दैनिक जीवन के परिवर्तन को नोट करते रहें।३. जाप करते समय , छींक, मूत्र का वेग , प्यास , शरीर के अंगों में दर्द होना अचानक ही ये बताता है कि आप सही राह में जा रहे हैं।
४. आपको साधना या जाप से विमुख करने बहुत से व्यवधान आएंगे , हो सकता है कि घर वालों की तरफ से ही आएं पर आप हटे नहीं।
५. कभी शरीर कमज़ोर पड़ना , सुबह देर से उठना बताता है कि आपकी राह गलत नहीं है।
६. वैदिक मन्त्रों का जाप बिना विनियोग के करने का कोई मतलब नहीं है।
७. अगर शीघ्र सफल होना चाहते हैं और बिना किसी को कष्ट दिए हुए कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं , तो केवल शाबर मंत्र ही आपका भला कर सकते हैं। वैदिक मन्त्रों नियम और सिद्ध करने की विधि बहुत कठिन है।
८ मन्त्रों की साधना या जाप करते हुए आपकी कमज़ोरी सामने आ सकती है , जैसे किसी रोग का उभरना , कहीं चोट लगना या असमय क्रोध आना। जो भी आपकी कमज़ोर नस हो वो दबाई जाती है , ताकि आप जाप करना छोड़ दो.
९. सबसे महत्त्वपूर्ण बात अगर आपने कोई जाप या साधना चालू की है तो बिना पूर्ण किये ना छोड़ें , क्योंकि मोक्ष , निदान और समस्या निर्वाण तभी संभव है अड़े रहें , डटे रहे। आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं है पर पाने के लिए पूरा जहाँ है।
ओम नमः शिवाय।




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