(आदरणीय श्री मुकेश सक्सेना भाई जी की सहायता से )
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ॐ जप माला की प्रतिष्ठा ॐ
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माला का जप से बहुत बडा समबन्ध है जिसका हर तरह की पुजा मे सदियों से प्रयोग होता आ रहा है।।
पीपल के नौ पत्ते लाकर एक को बीच में और आठ को अगल-बगल इस ढंग से रके कि वह अष्ट-दल कमल-सा मालूम हो ।
बीचवाले पत्ते पर माला रखे और " ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ॡं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं ळं क्षं " का उच्चारण करके पञ्च-गव्य के द्वारा उसका प्रक्षालन करे और फिर ‘सद्योजात’ मन्त्र पढ़कर गंगाजल या जल से उसको धो दें।
☆ सद्योजात-मन्त्र ~
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ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नातिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ।
इसके पश्चात् वामदेव-मन्त्र से चन्दन, अगर, गन्ध आदि के द्वारा
घर्षण करे ।
☆ वामदेव-मन्त्र ~
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“ॐ वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः,
कालाय नमः, कल-विकरणाय नमो बलाय नमो बल-प्रमथनाय नमः
सर्व-भूत-दमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ।”
तत्पश्चात् ‘अघोर-मन्त्र’ से धूप-दान करे~~
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