10 September 2015

आसन सिद्धि और आसन का महत्तव

जानिये क्यों जरुरी है आसन सिद्धि और आसन का महत्तव :-

जब भी कोई इन्सान साधना मार्ग पर चल पड़ता है तो उसे कई महत्त्वपूर्ण नियमों ध्यान रखना होता है , जिसमे सबसे पहला है आसन का चुनाव और आसन की सिद्धि। आसन के बिना मंत्र का जाप करना क्यों व्यर्थ है ?आप सभी ने देखा होगा पढ़ा भी है कि जब आकाश से बिजली गिरती है तो उससे बचने घरों में तड़ित चालक लगाये जाते हैं। इन तड़ित चालक का कार्य है कि सम्पूर्ण बिजली को आकर्षित व अवशोषित करके धरती अंदर भेज दें। ये स्थानांतरण आपके घर की सुरक्षा लिए होता है और पृथ्वी विद्युत की सुचालक है। इसलिए हम जब मंत्र बिना आसन करते हैं , वो सब स्थानांतरित हो कर जमीन में समां जाते हैं और उसका फल नहीं प्राप्त होता।


किसी भी भवन की मजबूती के लिए उसका बेस याने की नीव मजबूत होनी चाहिए। आसन साधक के लिए बेस नीँव ही तो है इसलिए उसको सिद्ध कर मज़बूती देते हैं।
ॐ नमः शिवाय।




गुरु गोरख नाथ जी का मंत्र

गुरु  गोरख नाथ जी का मंत्र 


ॐ गुरूजी सत नाम आदेश आदि पुरुष गोरख को 


शिव गोरख आदि है , शिव गोरख अनन्त 


शिव गोरख रटते ही , कटते यम के फंद 


शिव गोरख अविनाशी है , शिव गोरख अलख  


कोटि जनम के ताप को , लेता तुरंत भख 


सतनाम ही गोरख हैं , शिव के ह्रदय राम 


शिव गोरख रटने से , होते पूर्ण काम 


आदि पुरुष गोरख जी हैं , शिव का स्वरूप 


भक्त के पाँय लागते , ग्राम -प्रजा और भूप 


ब्रह्म - ब्रह्म मंत्र भये प्रकाशा , जिसमे शिव गोरख का वासा 


देव निरंजन करे सहाय , शिव गोरख जो रटन लगाये 


शिव गोरख हैं पूर्ण प्रकाश , रटते रहो स्वांस -स्वांस 


सत्य ज्योति है रूप तुम्हारा , सारे जग में तुम्हरा पसारा 


कुण्डली माता योग देवी , साधू -संत नित्य खेवी 


शिव गोरख तुम करो आदेश , जड़ता काटो देओ उपदेश 


सत्य -ज्योति करे सहाये , शिव गोरख जो रटन लगाये 


 शिव गोरख के तेज़ से , काल होता भयभीत 


जनम-मृत्यु के चक्र से , जोगी जाता जीत 


 शिव गोरख आनंद है , सुख- शांति की खान 


काल -चक्र माया का , पूर्व में होता भान 


 शिव गोरख ही तंत्र है , मंत्र और उपचार 


बुरी बला को तुरंत ही , कर देता लाचार 


 शिव गोरख रटने से , रिद्धि -सिद्धि भण्डार 


कुबेर -लक्ष्मी अन्नपूर्णा , करते फिर उपकार 


 शिव गोरख के जाप में , शक्ति बसी अनूप


साधक रटते -रटते ही , धूनी रमाते धुप 


 शिव गोरख की महिमा का, (यहाँ अपना नाम कहें ) करता /करती बखान 


गुरु संत की कृपा से, शब्दों में है जान। 


******गाय के उपले जला कर  .... कभी भी सुबह या जाप एक बार पढ़ें।