10 September 2015

गुरु गोरख नाथ जी का मंत्र

गुरु  गोरख नाथ जी का मंत्र 


ॐ गुरूजी सत नाम आदेश आदि पुरुष गोरख को 


शिव गोरख आदि है , शिव गोरख अनन्त 


शिव गोरख रटते ही , कटते यम के फंद 


शिव गोरख अविनाशी है , शिव गोरख अलख  


कोटि जनम के ताप को , लेता तुरंत भख 


सतनाम ही गोरख हैं , शिव के ह्रदय राम 


शिव गोरख रटने से , होते पूर्ण काम 


आदि पुरुष गोरख जी हैं , शिव का स्वरूप 


भक्त के पाँय लागते , ग्राम -प्रजा और भूप 


ब्रह्म - ब्रह्म मंत्र भये प्रकाशा , जिसमे शिव गोरख का वासा 


देव निरंजन करे सहाय , शिव गोरख जो रटन लगाये 


शिव गोरख हैं पूर्ण प्रकाश , रटते रहो स्वांस -स्वांस 


सत्य ज्योति है रूप तुम्हारा , सारे जग में तुम्हरा पसारा 


कुण्डली माता योग देवी , साधू -संत नित्य खेवी 


शिव गोरख तुम करो आदेश , जड़ता काटो देओ उपदेश 


सत्य -ज्योति करे सहाये , शिव गोरख जो रटन लगाये 


 शिव गोरख के तेज़ से , काल होता भयभीत 


जनम-मृत्यु के चक्र से , जोगी जाता जीत 


 शिव गोरख आनंद है , सुख- शांति की खान 


काल -चक्र माया का , पूर्व में होता भान 


 शिव गोरख ही तंत्र है , मंत्र और उपचार 


बुरी बला को तुरंत ही , कर देता लाचार 


 शिव गोरख रटने से , रिद्धि -सिद्धि भण्डार 


कुबेर -लक्ष्मी अन्नपूर्णा , करते फिर उपकार 


 शिव गोरख के जाप में , शक्ति बसी अनूप


साधक रटते -रटते ही , धूनी रमाते धुप 


 शिव गोरख की महिमा का, (यहाँ अपना नाम कहें ) करता /करती बखान 


गुरु संत की कृपा से, शब्दों में है जान। 


******गाय के उपले जला कर  .... कभी भी सुबह या जाप एक बार पढ़ें।  
 

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